कक्षा-8 {अतीत से वर्तमान} ||ग्रामीण जीवन और समाज नोट्स|| gramin jivan aur samaj
यह पोस्ट कक्षा 8 के अतीत से वर्तमान भाग 3 अध्ययन से संबंधित है इस अध्याय का नाम ग्रामीण जीवन और समाज अंग्रेजी शासन और भारत के गांव है। इस पोस्ट में ग्रामीण जीवन और समाज के सभी प्रश्नों के उत्तर को बताए हुए हैं।
यहां पर बिहार बोर्ड कक्षा 8 के अतीत से वर्तमान अध्याय 3 ग्रामीण जीवन और समाज, अंग्रेजी शासन और भारत के गांव (gramin jivan aur samaj, angreji shasan aur Bharat ke gaon) अध्याय के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया गया है।
Bihar Board Class 8 Social Science ग्रामीण ज़ीवन और समाज अंग्रेजी शासन और भारत के गांव अध्याय 3 का नोट्स।
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Bihar Board Solution Class 8 Social Science
Objective questions and answers
प्रश्न (i)
बिहार में अंग्रेजों के समय किस तरह की भूमि व्यवस्था अपनाई गई?
(क) स्थायी बंदोबस्त
(ख) रैयतवारी व्यवस्था
(ग) महालवारी व्यवस्था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) स्थायी बंदोबस्त
प्रश्न (ii)
अंग्रेजों के आने के पहले भूमिका मालिक कौन होता था ?
(क) जमींदार
(ख) व्यापारी
(ग) किसान
(घ) राजा
उत्तर-
(घ) राजा
प्रश्न (iii)
रैयतवारी व्यवस्था में जमीन का मालिक किसे माना गया ?
(क) किसान
(ख) जमींदार
(ग) गाँव
(घ) व्यापारी
उत्तर-
(क) किसान
प्रश्न (iv)
अंग्रेजी शासन द्वारा भारत में अपनाई गई भूमि व्यवस्थाओं का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
(क) अपनी आय बढाना
(ख) भारतीय गाँवों पर अपने शासन को मजबूत करना
(ग) व्यापारिक लाभ प्राप्त करना
(घ) किसानों का समर्थन प्राप्त करना
उत्तर-
(iv) (क) अपनी आय बढ़ाना।
निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ-
महालवारी – (क) 1793
नील दर्पण – (ख) बिहार
नकदी फसल – (ग) दीनबंधु मित्र
स्थायी भूमि-व्यवस्था – (घ) पंजाब
उत्तर-
महालवारी – (घ) पंजाब ।
नील दर्पण – (ग) दीनबंधु मित्र
नकदी फसल – (ख) बिहार
स्थायी भूमि व्यवस्था – (क) 1793
Subjective questions and answers of Bihar board class 8 chapter 3 gramin jivan aur samaj angreji shasan aur Bharat ke gaon
प्रश्न 1 अंग्रेजी शासन के पहले भारतीय भूमि व्यवस्था एवं लगान प्रणाली के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-भारत में अंग्रेजी शासन के पहले गांव के लोग अपनी आवश्यकता की ज्यादातर चीजों का उत्पादन एवं निर्माण स्वयं करते थे। यहां की अधिकांश आबादी का मुख्य काम कृषि था। खेती के लिए जमीन राजा के द्वारा मिलती थी और इसके बदले राजा किसानों से लगान (भूमि कर) लेते थे जमीन का मालिक राजा ही होता था। जमींदार एवं किसानों का भूमि पर अधिकार तब तक रहता था जब तक राजा को लगान दिया जाता था। ऐसा नहीं होने पर राजा जमींदार और किसान से जमीन छीन लेते थे। राज्य अपने कर्मचारियों और जमींदारों के माध्यम से किसानों का पूरा ध्यान रखते थे यहीं से उनके लिए खर्च, पुलिस व्यवस्था, कर्मचारियों का वेतन, भोजन आदि का प्रबंध होता था।
ग्रामीण जीवन और समाज क्लास 8
प्रश्न-2 स्थाई बंदोबस्त की विशेषताओं को बताएं।
उत्तर-अंग्रेजों ने भारत पर शुरू से ही कई प्रकार की नीतियों को लागू करके अपना शिकंजा कसा। खेती से संबंधित लगान को व्यवस्थित करने के लिए 1793 में स्थाई बंदोबस्त लागू किया गया।
1789 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने जमींदारों के साथ एक करार किया जिसके अंतर्गत उनके द्वारा कंपनी को दिया जाने वाला लगान 10 वर्षों के लिए तय कर दिया गया। यह राशि जमींदारों द्वारा किसानों से वसूले गए लगान का 9 बटा 10 भाग तय कर दिया गया। 1793 में इसी राशि को हमेशा के लिए निश्चित मान लिया गया इस व्यवस्था को स्थाई बंदोबस्त नाम दिया गया। क्योंकि भविष्य में इस व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होना था।
सरकार को इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि अकाल या बाहर के कारण फसल नष्ट हो गई है या पैदावार कम हुई है जमींदारों को हर हाल में 83 नियत तिथि को जमा कराना ही पड़ता था।
प्रश्न 3 अंग्रेजी सरकार द्वारा बार-बार भूमि राजस्व व्यवस्था में किए जाने वाले परिवर्तनों को आप किस रूप में देखते हैं? अपने शब्दों में बताएं।
उत्तर-अंग्रेज भारत से अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहती है इसीलिए उन्होंने कोई ज्यादा झमेला किए ऐसी नीतियों को लागू किया जिससे उसे अधिक से अधिक मुनाफा हो सके। कृषि से अधिक भू राजस्व प्राप्त करने के लिए अंग्रेजों ने समय-समय पर कई नीति में परिवर्तन किए। अंग्रेजी सरकार ने भारत में अधिक से अधिक राजस्व इकट्ठा करने के लिए स्थाई बंदोबस्त, रैयतवारी, व्यवस्था और महालवाड़ी व्यवस्था जैसी नीतियों को लागू किया।
अंग्रेजी सरकार द्वारा इन नीतियों को लागू करने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य अधिक से अधिक लगान वसूल करना था इसमें सरकार को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होता था। इसमें भारत में अंग्रेजी शासन को स्थायित्व प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि सरकार की ऐसी नीतियों का उल्टा प्रभाव भी पड़ा , भारत के परंपरागत भूमिपतियों तथा किसानों में कई तरह के असंतोष का जन्म दिया जिससे कि कई तरह के विद्रोह देखने को मिला।
ग्रामीण जीवन एवं समाज ka Notes
प्रश्न-4 अंग्रेजों की भूमि राजस्व व्यवस्था आज की व्यवस्था से कैसे अलग थी संक्षेप में बताएं, संक्षेप में बताएं।
उत्तर-अंग्रेजी शासन के समय भूमि राजस्व व्यवस्था में जमींदार होते थे जो राजस्व वसूली करके कंपनी को दिया करते थे। वर्तमान समय में सरकार अपने कर्मचारियों के माध्यम से राजस्व का वसूली करते हैं।
आज, जहां सरकार किसानों से काफी कम राशि भूमि राजस्व के रूप में लेती है और कई सरकारी कर्मचारी व अधिकारी इस काम के लिए लगे होते हैं वहीं अंग्रेजी सरकार भूमि राजस्व के रूप में तब, किसानों से उनके लाभ का लगभग आधा हिस्सा हडप लेती थी। भूमि राजस्व की वसूली का काम जमींदार और उसके कारिंदे करते थे, कहीं यह काम कोई बड़ा किसान या परिवार करता था और कहीं कंपनी के लोग स्वयं यह काम करते थे। पर, उनका मकसद अधिक से अधिक शोषण करना होता था।
Bihar Board Class 8 अतीत से वर्तमान Solution
प्रश्न -5 नई राजस्व नीति का भारतीय समाज पर क्या असर हुआ?
उत्तर-अंग्रेजी सरकार के द्वारा लागू की गई नई राजस्व प्रणाली के कारण पुराने जमींदारों के हाथों से जिम्मेदारी चली गई क्योंकि उन्होंने तय समय पर राजस्व वसूली करके नहीं दिया। सरकार के द्वारा उन्हें निश्चित समय दिया जाता था कि इस समय तक अगर आप लगान वसूल करके नहीं देते हैं तो आप की जमीन दारी नीलामी करके दूसरे को दे दी जाएगी। नई राजस्व व्यवस्था में जमीन का मालिक किसान या जमींदारों को बना दिया गया । इससे लगान समय पर जमा करने के लिए इसे बेचने या बंधक रखने का चलन शुरू हो गया। इससे गाँवों में महाजन के रूप में एक प्रभावी समूह आ गया । ये महाजन जमीन के एवज में धन दिया करते थे। किसान और जमींदार दोनों इनसे कर्ज लेते थे । अंग्रेज सरकार को केवल लगान से मतलब थी । इस नई राजस्व नीति का भारतीय समाज पर बुरा असर पड़ा । शोषण बड़ा, भारतीय किसानों की दरिद्रता बढ़ी और भारतीय समाज में असंतोष बढ़ता गया जिसके । परिणामस्वरूप जगह-जगह पर उपद्रव की स्थिति उत्पन्न हो गयी।
Social Science Atit se vartman Class 8 Bihar Board solution in Hindi
प्रश्न-6 नील की खेती की प्रमुख समस्याओं की चर्चा करें।
उत्तर- नील की खेती के कारण भारतीय किसानों की स्थिति काफी बिगड़ गई। किसानों को मजबूरन अपने कीमती जमीन पर अंग्रेजों के लिए नील की खेती करनी पड़ती थी और एक बार जिस्म भी खेत में नील की खेती की जाती थी वह जमीन बंजर हो जाती थी धान और नील की खेती का समय लगभग एक ही होता था अगर नील की खेती की जाती थी तो धान की खेती में देरी होने के कारण फसल अच्छी नहीं होती थी इस कारण किसानों के पास अनेक अनाज की कमी होने लगी और किसान भूखा मरने लगे। जब सूखा या बाढ़ के कारण फसलों का उत्पादन कम होता था तो किसानों के पास पहले का रखा अनाज नहीं होता था। ऐसे में या तो महाजनों से कर्ज लेते थे या भूखे रहते थे।
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इस पोस्ट में बिहार बोर्ड कक्षा आठ अतीत से वर्तमान भाग 3 के अध्याय 3 जिस अध्याय का नाम ग्रामीण जीवन और समाज अंग्रेजी शासन और भारत के गांव है मैं सभी महत्वपूर्ण प्रश्न और उससे संबंधित तथ्यों को बताया गया है। इस अध्याय में अंग्रेजी शासन के पहले के भारतीय गांव, अंग्रेजों को लगान वसूली करने का अधिकार मिला, लगान व्यवस्था की शुरुआत, स्थाई बंदोबस्त रैयतवारी व्यवस्था महलवारी व्यवस्था, 1857 का विद्रोह, नई लगान व्यवस्थाओं का ग्रामीण जीवन पर प्रभाव, बाजार के लिए नई फसलों का उत्पादन, नील की खेती की समस्याएं, नील किसानों का विद्रोह, बिहार और नील की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन किया गया है।
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