S-4 स्वयं की समझ, Swayam Ki samajh Unit-1 एक व्यक्ति के रूप में स्वयं को समझना, Towards self understanding Assignment for d.el.ed
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S-4 स्वयं की समझ, Swayam Ki samajh Unit-1 एक व्यक्ति के रूप में स्वयं को समझना, Towards self understanding Assignment for d.el.ed |
मैं कौन हूं? सेल्फ बनाम इगो, शिक्षक अपना सेल्फ पोट्रेट कैसे लिखें, शिक्षक की आत्मा अभिव्यक्ति, स्वीकार्यता, स्वाभिमान, आत्मविश्वास, आत्म अभिप्रेरण
Q.1 मैं कौन हूं यह जानना क्यों जरूरी है
अथवाएक शिक्षक को अपने व्यक्तित्व को समझने की जिज्ञासा क्यों आवश्यक है? सेल्फ बनाम एगो की अवधारणा को समझाएं
उत्तर:- जिंदगी में अपने आप को समझना बहुत जरूरी है। प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण होता है और उस विशेष गुण के कारण वह इंसान अपने जिंदगी में इतिहास रचता है। हम कई व्यक्तियों के बारे में आए दिन पढ़ते, जानते, उनसे प्रेरणा लेते हैं। मैं कौन हूं अगर यह स्पष्ट होगा तो हम अपनी क्षमताओं को आंक सकते हैं और उस क्षमता के आधार पर हम एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
शिक्षक के तौर पर अपने आप को समझना बहुत जरूरी है क्योंकि एक शिक्षक पर एक राष्ट्र को निर्माण करने का दायित्व होता है। यहां पर राष्ट्र निर्माण करने का अर्थ इसलिए आता है क्योंकि शिक्षक छात्रों के भविष्य को बनाता है और छात्र ही राष्ट्र के निर्माता होते हैं। इस प्रकार राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण बन जाता है।
मैं कौन हूं? मनुष्य के जन्म के साथ ही विभिन्न संबंधों में यह भ्रम हो जाता है। अपने अस्तित्व की जानकारी नहींं होती है । शरीर एक प्रकार से वस्त्र की भांति है। यह शरीर त्यागने के बाद मनुष्य को दूसरा शरीर जैसे-कीट पतंग, पशु पक्षी या अन्य रूपों में भी मिल सकता है। मनुष्य हर हालत में एक योनि प्राप्त करता है अतः यह प्रश्न ज्यों का त्यों है कि मैं कौन हूं? वेदांत का यह प्रिय विषय रहा है।
वास्तव में जब यह आत्मा अपने स्वरूप में स्थिर हो जाता है तो वहीं वास्तविक स्वरूप है। अगर आप खुद को अच्छी तरह जानते हैं और यह भी जानते हैं कि आप किस सिद्धांतों पर चलते हैं तो गलत चीजों को करने के लिए उकसाये जाने पर भी आप अपने सिद्धांतों पर कायम रहेंगे।
" सेल्फ बनाम एगो" सेल्फ का हिंदी शब्द स्वयं होता है जिसको हम आंतरिक चिंतन से लेकर बाहें व्यवहार के तौर पर समझ सकते हैं। इस संदर्भ में शिक्षकों को यह समझना जरूरी है कि एक शिक्षक के तौर पर उनका जो व्यक्तित्व निर्मित होता है उसमें उनके जीवन अनुभव व्यक्तिगत सोच एवं सामाजिक मान्यताएं भी शामिल रहते हैं, और इन सब के साथ वे अपने धर्म कार्य अर्थात शिक्षण कार्य करते हैं। इनकी व्यापक समझ हर शिक्षक को होनी चाहिए ताकि वे अपने कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने में इनका सकारात्मक उपयोग कर सकें।
एगो का शाब्दिक अर्थ अहंकार होता है। ईगो हमारी सूक्ष्म शरीर का एक अंग है। अहंकार दो प्रकार से होता है- एक झूठा एक सच्चा अहंकार। उसमें झूठा अहंकार यह है कि- मैं अपने आप को यह शरीर मान लूं और इस शरीर के संबंध की सारी चीज को अपना मान लो यह झूठा अहंकार है । सच्चा अहंकार की बात करें तो यह है कि- मैं अपने आप को आत्मा मान लूं और आत्मा का भगवान ईश्वर को मान लो तो यह सच्चा अहंकार है।
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Q.2 एक शिक्षक होने के नाते अपना सेल्फ पोट्रेट (self-portrait) कैसे लिखना चाहिए?
उत्तर:- प्राचीन समय में पोर्ट्रेट यानी प्रतिकृति किसी को सामने बिठा कर या उसकी फोटो देखकर बनाई जाती थी। किसी की फोटो देखकर अपने चित्र में हूूू-बू-हू बना देना कलाकार की निपुणता को निश्चय ही दिखाती है पर यह कला नहीं है। रचना शीलता का अर्थ किसी वस्तु या व्यक्ति का अपने चित्र में पुनर्रचना या अनुकरण नहीं है।
एक शिक्षक के तौर पर self-portrait का मतलब स्वयं के गुणों से है। एक शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। राष्ट्र के निर्माण में एक शिक्षक की जितनी भूमिका है वह शायद किसी और की नहीं होती है। दुनिया के सभी प्रकार के प्रसिद्ध व्यक्ति जैसे राजनेता डॉक्टर इंजीनियर उद्योगपति लेखक अभिनेता खिलाड़ी इत्यादि को बनाने में एक शिक्षक की भूमिका अहम होती है।
एक शिक्षक के रूप में यह जानना जरूरी है कि बच्चे क्या सोचते हैं? किस प्रकार सोचते हैं? और उन्हें किस प्रकार मदद की आवश्यकता है? जब एक बच्चा स्कूल आता है तो वह कोरा कागज नहीं होता है और ना ही वह खाली होता है उनके पास कुछ ना कुछ पहले से ज्ञान होता है। हमें उनके पूर्व ज्ञान को जोड़कर शिक्षा देने की आवश्यकता होती है। और यह विधि उसके विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अच्छे शिक्षक की पहचान इसमें है- छात्रों को समझना उनकी रूचि और जरूरत को समझना जरूरी है। उनके परिवेश आर्थिक और सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें अधिक से अधिक सिखाने के अवसर उपलब्ध कराना साथ ही कौशल और जिज्ञासाओं को जिज्ञासाओं को समझ कर उन्हें बेहतर तैयार करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
एक शिक्षक को बच्चों को ऐसे अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा हो हुए अपने समाज की मिथ्या धारणाओं का परित्याग करें।
Q.3 शिक्षक अपने आत्म अभिव्यक्ति की समझ किस प्रकार करेंगे? इसे अपनी स्वीकार्यता, स्वाभिमान, आत्मविश्वास तथा आत्म अभिप्रेरणा के संदर्भ में बताएं।
उत्तर:- अभिव्यक्ति का अर्थ अपने मन के विचारों को प्रगट करने से है। इसके द्वारा मनुष्य अपने मनोभावों को प्रकाशित करता है तथा अपनी भावनाओं को एक रुप प्रदान करता है। शिक्षक को अपने आत्म अभिव्यक्ति की समझ होनी चाहिए। एक शिक्षक को अपने कर्तव्य का ज्ञान होना चाहिए। एक शिक्षक के कंधे के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। आज के वर्तमान समय में जीवन को एक सही, उचित जानकारी एवं दूरदर्शी दिशा निर्देश शिक्षक का पावन कर्तव्य है ।स्वीकार्यता- स्वीकार्यता का अर्थ अपने को स्वीकारने से है। अर्थात अपने कर्तव्य को सही से पालन करना है यह हमें स्वीकार करना चाहिए। अगर हम अपने कर्तव्य और उद्देश्यों को पूरा करने के प्रति समर्पित रहते हैं तो निश्चित रूप से समाज में हमारी स्वीकार्यता सफल होगी।
स्वाभिमान- स्वाभिमान एक मानसिकता है यह ऐसा एहसास है जो हमें समझ और चुनौतियों से लड़ने में मदद करता है। अगर हमारे अंदर स्वाभिमान का भाव जागृत होता है तो हम अपने कर्तव्य को बेहतर तरीके से कर पाएंगे। एक शिक्षक के सामने बहुत सारी चुनौतियां रहती है उन चुनौतियों से सफलता प्राप्त होने के उपरांत ही स्वाभिमान की भावना जागृत होती है।
आत्मविश्वास- आत्मविश्वास एक धनात्मक मानसिकता है, साथ ही एक आध्यात्मिक सकती है। आत्मविश्वास से विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और यह हमें स्वाधीनता प्रदान करती है कि हम उस काम को करने में सफल होंगे। अगर अपने आप में आत्मविश्वास रहता है तो हमें किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं होती है। और साथ में कोई चिंता नहीं सताती है। यह एक आंतरिक भावना है, इसके बिना जीवन में सफल होना अनिश्चित है।
आत्मअभिप्रेरणा- जब किसी चीज को पाने की इच्छा होती है तो शरीर में उर्जा उत्पन्न होती है, और यह ऊर्जा एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करती है, और इस प्रेरक शक्ति से एक गतिशीलता आती है, और यह गतिशीलता हमारे लक्ष्य को पूरा करने में मदद करते हैं। अपने जीवन में सफलता पाने का महत्वपूर्ण अभीकरण है। आत्मा अभिप्रेरणा के द्वारा अपने व्यवहार को अधिक द्रिढ किया जा सकता है
इस प्रकार हम देखते हैं कि एक शिक्षक के रूप में स्वीकारता, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और अभिप्रेरणा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक शिक्षक में यह सभी गुण मौजूद हो तो एक अच्छा राष्ट्र के निर्माण करने में अहम भूमिका निभाएगा।
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