S-4 स्वयं की समझ
Unit-2 अस्मिता के प्रति सजगता
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S-4, Towards self understanding |
अस्मिता, अस्मिता के विभिन्न पहलू/आयाम, एक आदर्श शिक्षक, एक आदर्श शिक्षक की संकल्पना, चिंतन एवं व्यवहार, शिक्षक अस्मिता पर समकालीन परिपेक्ष्य
Q.1 शिक्षक अस्मिता का अर्थ स्पष्ट करें । इसके विभिन्न आयामों की चर्चा करें।
उत्तर:- अस्मिता:- अस्मिता का अर्थ व्यक्तित्व, स्थिती, मान- मर्यादा, प्रतिष्ठा, पहचान इत्यादि से होता है। एक शिक्षक की अस्मिता का निर्माण उनके कार्यों, दृष्टिकोण से होता है। हर एक व्यक्ति के जिंदगी में कुछ ना कुछ उद्देश्य होता है और कर्तव्य होता है। जो अपने कर्तव्यों का निर्वाहन अच्छे तरीके से करता है उनकी अस्मिता स्वयं अच्छी हो जाती है। वह व्यक्तिगत रूप से पेशेवर रूप से और सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित माने जाते हैं। इस प्रकार उनकी अस्मिता अर्थात पहचान अच्छी होती है।
शिक्षक अस्मिता के तीन महत्वपूर्ण पहलू हैं जिनकी शिक्षक जाने-अनजाने उपेक्षा भी करते हैं। एक अच्छा शिक्षक होने के लिए यह जानना आवश्यक है कि समाज में हमारी क्या प्रतिष्ठा हैं। समाज एक आईना है जहां पर हमको अपनी पहचान मिलती है।
शिक्षक अस्मिता के पहलू -
अस्मिता के 3 पहलू है :-
व्यक्तित्व- अस्मिता का यह महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें एक शिक्षक के व्यक्तिगत गुण व व्यवहारों का प्रत्यक्षीकरण होता है। एक शिक्षक सही मायने में वह इंसान होता है जो एक समाज और एक राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान देता है और अपने शिष्यों के उद्देश्यों को पूरा करता है। उदाहरण के लिए यदि श्री कृष्ण गीता उपदेश नहीं देते तो अर्जुन का जीवन लक्ष्य रहित रहता, यदि चाणक्य भारत का सपना नहीं देखता तो चंद्रगुप्त मौर्य आदिवासी बालक भारत पर राज नहीं करता इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति का भविष्य संवारने में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
पेशेवर- पेशेवर का अर्थ व्यवसाय से होता है। एक डॉक्टर इंजीनियर प्रोफेसर वकील सभी पेशेवर तरीके से अपने जीवन यापन करता है। यह सभी व्यक्ति अपने लक्ष्य को पूरा करके अपना जीवन यापन करते हैं। उसी प्रकार एक शिक्षक का दायित्व भी महत्वपूर्ण होता है। पेशेवर अस्मिता के तहत शिक्षक के कार्यों को परिलक्षित करता है। इसमें यह देखा जाता है कि शिक्षक अपने गुणों को पेशेवर रूप में कहां तक क्रियान्वित कर सकता है । हालांकि आज के समय में शिक्षक पेशेवर होते जा रहे हैं अपने दायित्व को भूलते जा रहे हैं यह राष्ट्र के निर्माण में बहुत बड़ा बाधक है।
शिक्षक अस्मिता के पहलू -
अस्मिता के 3 पहलू है :-
व्यक्तित्व- अस्मिता का यह महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें एक शिक्षक के व्यक्तिगत गुण व व्यवहारों का प्रत्यक्षीकरण होता है। एक शिक्षक सही मायने में वह इंसान होता है जो एक समाज और एक राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान देता है और अपने शिष्यों के उद्देश्यों को पूरा करता है। उदाहरण के लिए यदि श्री कृष्ण गीता उपदेश नहीं देते तो अर्जुन का जीवन लक्ष्य रहित रहता, यदि चाणक्य भारत का सपना नहीं देखता तो चंद्रगुप्त मौर्य आदिवासी बालक भारत पर राज नहीं करता इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि किसी व्यक्ति का भविष्य संवारने में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
पेशेवर- पेशेवर का अर्थ व्यवसाय से होता है। एक डॉक्टर इंजीनियर प्रोफेसर वकील सभी पेशेवर तरीके से अपने जीवन यापन करता है। यह सभी व्यक्ति अपने लक्ष्य को पूरा करके अपना जीवन यापन करते हैं। उसी प्रकार एक शिक्षक का दायित्व भी महत्वपूर्ण होता है। पेशेवर अस्मिता के तहत शिक्षक के कार्यों को परिलक्षित करता है। इसमें यह देखा जाता है कि शिक्षक अपने गुणों को पेशेवर रूप में कहां तक क्रियान्वित कर सकता है । हालांकि आज के समय में शिक्षक पेशेवर होते जा रहे हैं अपने दायित्व को भूलते जा रहे हैं यह राष्ट्र के निर्माण में बहुत बड़ा बाधक है।
सामाजिक- शिक्षक समाज में उच्च आदर्श स्थापित करने वाला व्यक्ति होता है। किसी भी देश या समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका होती है। कहा जाए तो शिक्षा की समाज का आईना होता है। हिंदू धर्म में ईश्वर के समान माना गया है। शिक्षक का दर्जा समाज में हमेशा से ही पूजनीय रहा है। उसे कोई शिक्षक कहता है, कोई आचार्य कहता है, तो कोई अध्यापक या टीचर का कहता ,है कोई शिक्षक कहता है। सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को चित्रित करते हैं जो सभी को ज्ञान देता है सिखाता है और राष्ट्र को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान निभाता है।
समाजिक अस्मिता शिक्षक अपने कार्यों के परिणाम स्वरुप स्थापित कर सकता है। शिक्षा का कार्य जितना अधिक सफल व परिणाम देने वाला होगा उनकी अस्मिता उतने ही बेहतर होगी।
Q.2 एक आदर्श शिक्षक की संकल्पना को स्पष्ट करें।
उत्तर:- एक शिक्षक में निम्न गुण होने चाहिए:-
(क) शैक्षिक योग्यता शिक्षित शिक्षक ही बेहतर अध्यापन कर सकता है जब तक उनकी शैक्षिक योग्यता बेहतर नहीं होगी वह छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दे सकते हैं अतः शिक्षकों को शिक्षित के साथ-साथ प्रशिक्षित भी होना आवश्यक है
Q.2 एक आदर्श शिक्षक की संकल्पना को स्पष्ट करें।
अथवा
एक आदर्श शिक्षक में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर:- एक शिक्षक में निम्न गुण होने चाहिए:-
(क) शैक्षिक योग्यता शिक्षित शिक्षक ही बेहतर अध्यापन कर सकता है जब तक उनकी शैक्षिक योग्यता बेहतर नहीं होगी वह छात्रों को अच्छी शिक्षा नहीं दे सकते हैं अतः शिक्षकों को शिक्षित के साथ-साथ प्रशिक्षित भी होना आवश्यक है
(ख) विषय का पूर्ण ज्ञान एक विषय को अपने विषय में निपुण होना चाहिए ताकि छात्र विषय संबंधी प्रश्न करें तो वह बिना हिचकीचाए उनको उत्तर देकर संतुष्ट कर पाए।
(ग) व्यवसाय के प्रति रुचि व निष्ठा- एक शिक्षक का यह धर्म होता है कि वह अपने व्यवसाय के प्रति लगन शील हो वह निष्ठा भाव से छात्रों को पढ़ाए
(घ) शिक्षण विधियों का प्रयोग- बदलते युग में शिक्षण विधियों में नवाचार लाने से शिक्षा को सरल बनाया जा सकता है अतः एक शिक्षक को चाहिए कि वे विभिन्न प्रकार के नवीन शिक्षण विधियों का उपयोग करें
(ङ) मनोज विज्ञानिक होना- एक छात्रों को मनोवैज्ञानिक होना चाहिए एक छात्र क्या सोच रहा है उनकी क्या समझ है उस अनुसार तैयारी करवाना चाहिए इसलिए जब तक छात्र की मानसिकता को नहीं समझेंगे एक शिक्षक बेहतर शिक्षा नहीं दे सकते हैं
(च) समय का पाबंद- एक शिक्षक में अनुशासन का गुण होना चाहिए पढ़ाने के समय कुल 40 मिनट की घंटी में कितना देर पढाना है कितना देर विषय पर चर्चा करना है यह सभी ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है।
( छ) कुशल वक्ता- एक शिक्षक को कुशल वक्ता होना चाहिए। किसी विषय वस्तु को बिना हिचकिचाहट के सरल शब्दों में समझाने की आवश्यकता होती है। एक शिक्षक में धैर्य का होना बहुत ही आवश्यक है छात्रों के प्रश्न पूछने पर उनके प्रश्नों को धैर्य पूर्वक जवाब देना शिक्षक का परम उद्देश्य है कई शिक्षक बात-बात में छात्रों के प्रश्न पूछने पर गुस्सा होते हैं। यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है। उनके मन के प्रश्नों को धैर्य पूर्वक उत्तर देना एक शिक्षक का दायित्व होता है ।
(ज) छात्रों के प्रति प्रेम व सहानुभूति- शिक्षक अपने छात्रों के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखनी चाहिए छात्रों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए। उनके पूछे गए सवालों का संतोषजनक उत्तर देना चाहिए ताकि छात्रों को प्रसन्न करने में कोई हिचकिचाहट ना हो। इस प्रकार एक विद्यार्थी शिक्षक का आदर करेंगे।
उत्तर:- विद्यालय संस्कृति को आमतौर पर निम्नलिखित तत्व शामिल करके परिभाषित किया जा सकता है :-
सामाजिक वातावरण :- जिसमें एक सुरक्षित और देखभाल करने वाला वातावरण होता है । जहां सभी विद्यार्थी आनंदित और महत्वपूर्ण महसूस करते हैं।
विद्यार्थियों को उनके व्यक्तित्व विकास में मदद मिलती है। बौद्धिक वातावरण जिससे हर कक्षा के सभी विद्यार्थियों को उनका सर्वोत्तम कार्य पूरा करने और उनका पूर्ण काम करने के लिए सहयोग और चुनौती दी जाती है ।
Q.3 विद्यालय संस्कृति क्या है और यह सीखने की प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:- विद्यालय संस्कृति को आमतौर पर निम्नलिखित तत्व शामिल करके परिभाषित किया जा सकता है :-
सामाजिक वातावरण :- जिसमें एक सुरक्षित और देखभाल करने वाला वातावरण होता है । जहां सभी विद्यार्थी आनंदित और महत्वपूर्ण महसूस करते हैं।
विद्यार्थियों को उनके व्यक्तित्व विकास में मदद मिलती है। बौद्धिक वातावरण जिससे हर कक्षा के सभी विद्यार्थियों को उनका सर्वोत्तम कार्य पूरा करने और उनका पूर्ण काम करने के लिए सहयोग और चुनौती दी जाती है ।
परंपराएं और दिनचर्या उन साझा मूल्यों से निर्मित जो विद्यालय के शैक्षणिक और सामाजिक मानकों का सम्मान और उन्हें सुदृढ़ करती है संरचनाएं स्टाफ और विद्यार्थियों को समस्याओं का समाधान करने और विद्यालय के वातावरण और उनके सामान्य जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने में और उसके लिए साझा उत्तरदायित्व प्रदान करने के लिए विद्यार्थियों के सीखने और चरित्र के विकास में सहायता करने के लिए माता-पिता के साथ वह भी ढंग से काम करने के तरीके संबंधों और व्यवहार के लिए नियम जो उत्कृष्टता और नैतिक परिपाटी की व्यवसायिक संस्कृति की रचना करते हैं
सामूहिक जागरूकता और कार्यवाही के माध्यम से विद्यार्थियों के सीखने और उपलब्धियों को बढ़ाने के लिए संस्कृति का सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है। चाहे छोटे कामों के माध्यम से जैसे सार्वजनिक समारोह में उपलब्धियों का उत्सव मनाना या अधिक बड़े पैमाने पर परियोजनाओं से जैसे पाठ्यचर्या के सुधार में योगदान करने के लिए शिक्षकों विद्यार्थियों और अन्य हित धारकों के लिए प्रजातांत्रिक प्रक्रिया विकसित करना।
सामूहिक जागरूकता और कार्यवाही के माध्यम से विद्यार्थियों के सीखने और उपलब्धियों को बढ़ाने के लिए संस्कृति का सकारात्मक उपयोग किया जा सकता है। चाहे छोटे कामों के माध्यम से जैसे सार्वजनिक समारोह में उपलब्धियों का उत्सव मनाना या अधिक बड़े पैमाने पर परियोजनाओं से जैसे पाठ्यचर्या के सुधार में योगदान करने के लिए शिक्षकों विद्यार्थियों और अन्य हित धारकों के लिए प्रजातांत्रिक प्रक्रिया विकसित करना।
हालांकि यह स्थिर दिखाई देती है संस्कृति से प्रभावित होता है इसलिए इस बात से अवगत रहना है कि विद्यालय की संस्कृति को प्रभावित करती है। यह बदलती है चाहे जानबूझकर या उसके बिना और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सीखने और उपलब्धि के लिए संस्कृति को जोखिम में ना रखा जाए।
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