Unit-2, बाल विकास और सीखना, बाल विकास और सीखने में अंतर्संबंध, सीखने की योग्यता और निर्योग्यता, सीखने के आकलन और सीखने के लिए आकलन
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S-2, Unit-2 sangyan sikhana aur bal vikas |
Q.1 बाल विकास और सीखने में अंतर्संबंध को समझाएं।
उत्तर:- बाल विकास से संबंधित परिवर्तन से है बाल विकास में व्यक्ति के मानसिक सामाजिक संवेगात्मक तथा शारीरिक परिवर्तन को शामिल किया जाता है इसके साथ ही व्यवहारिक परिवर्तन जैसे कार्यकुशलता कार्यक्षमता व्यक्तिगत सुधार सभी परिवर्तन से ही संबंधित है महोदया हरलॉक के अनुसार विकास का अर्थ बढ़ने से नहीं है इसका तात्पर्य बालक की परिपक्वता की ओर परिवर्तन का एक विकास का करम है इसमें बालकों के विशिष्ट योग्यताएं का परिवर्तन होता है
सीखना विकास की एक प्रक्रिया है सीखना अर्थात अधिगम तब तक संभव नहीं है जब तक कि व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व ना हो। बच्चे जो भी कार्य करते हैं उसे विकास की विभिन्न अवस्थाओं में आत्मसात करते जाते हैं उदाहरण के लिए 3 वर्ष का बालक साइकिल चलाना नहीं सीख पाता है इसका प्रमुख कारण आयु और परिपक्वता का अभाव है उसी प्रकार सामान्य बुद्धि बालक प्राय: 11 माह की अवस्था में अनुकरण एवं प्रयास द्वारा बोलना सीख जाता है।
बाल विकास और सीखने के अंतर्संबंध को निम्न अवस्थाओं के द्वारा समझ सकते हैं:-
(क) शैशवावस्था व अधिगम:- यह अवस्था जन्म से लेकर 3 वर्ष तक होती है इसमें बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास तीव्र गति से होता है इस उम्र में बच्चों में जिज्ञासा की तीव्र प्रवृत्ति होती है इसी उम्र में बच्चे का समाजीकरण प्रारंभ हो जाता है मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह अवस्था भाषा सीखने के लिए सर्वोत्तम अवस्था है
(ख) बाल्यावस्था व अधिगम:- इसमें बालक की लंबाई और भार में वृद्धि होती है साथ ही बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ने लगती है हालांकि बच्चे के सीखने की गति मंद होती है लेकिन सीखने का क्षेत्र विस्तृत हो जाता है
(ग) किशोरावस्था एवं अधिगम:- किशोरावस्था में बालक परिपक्वता की ओर अग्रसर होता है इस अवस्था में बुद्धि का पूर्ण विकास हो जाता है उनकी क्षमता और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है इनसे उनके सीखने का क्षेत्र भी विस्तृत हो जाता है इसी अवस्था में वह भविष्य को लेकर गंभीर होने लगते हैं
Q.2 सीखना और परिपक्वता में क्या अंतर है? यह एक दूसरे पर कैसे आधारित है स्पष्ट करें?
उत्तर:-अनुभव ज्ञान और अभ्यास के माध्यम से सीखा जाता है। जबकि परिपक्वता उसे व्यक्ति के समझ और मानसिक प्रक्रिया से संबंधित है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सीखना एक प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति में एक व्यवहारिक परिवर्तन होता है। दूसरी तरफ परिपक्वता एक ऐसी प्रक्रिया है, जहां व्यक्ति उपयुक्त तरीकों से स्थितियों पर प्रतिक्रिया करना सीखता है। परिपक्वता प्राकृतिक नियम के अनुसार एवं स्वयं होने वाला एक परिवर्तन है
सीखने और परिपक्वता में प्रमुख अंतर इस प्रकार है:-
(क) परिपक्वता प्राकृतिक या स्वाभाविक है जबकि सीखने के लिए प्रयास करना पड़ता है
(ख) परिपक्वता के कारण होने वाले व्यवहार के परिवर्तन संपूर्ण नस्ल या प्रजाति में आते हैं। सीखने से होने वाले परिवर्तन केवल व्यक्ति में आते हैं
(ग) परिपक्वता की प्रक्रिया की एक शारीरिक सीमा होती है यह 25 वर्ष तक पूर्ण हो जाती है जबकि सीखने की प्रक्रिया उम्र भर चलती रहती है
(घ) परिपक्वता प्राकृतिक क्रिया है प्रेरणा का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है परंतु सीखने के लिए फिर ना एक आवश्यक शर्त है
(ङ) परिपक्वता स्वतंत्र है जबकि सीखना परिपक्वता पर आधारित है
S-2,Unit-2 संज्ञान, सीखना और बाल विकास (कॉग्निशन लर्निंग एंड चाइल्ड डेवलपमेंट), Cognition learning and child development
Q.3 सीखने की योग्यता और निर्योग्यता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- सीखने की योग्यता- बकिंघम के अनुसार सीखने की योग्यताएं ही बुद्धि कहलाती है। किसी भी व्यक्ति के सीखने की योग्यता उसकी यह योग्यता है जिसके द्वारा वह लगातार प्रयास और अनुभव द्वारा अपने को बतावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है। जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है। वह उसके जीवन का विकास भी उतना होता है। सीखने के क्रम में व्यक्ति अनेक क्रियाएं एवं उप क्रियाएं करता है। सीखने की योग्यता व्यक्ति को चारों ओर के परिवेश से अनुकूलन करने के काबिल बनाती है। सीखने की योग्यता व्यक्ति के शारीरिक संज्ञानात्मक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है जिसके सीखने की क्षमता पर पूरा पूरा प्रभाव पड़ता है जिस जो व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर होते हैं उन्हें पढ़ने लिखने सीखने में कठिनाई होती है
सीखने की निर्योग्यता:- सीखने की निर्योग्यता अर्थात अधिगम अक्षमता एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है कई बालकों के न्यूरोलॉजिकल यानी कि तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी पाई जाती है जो संदेश भेजने ग्रहण करने और उस को संचालित करने में सक्षम नहीं होते हैं सीखने की क्षमता से जूझ रहे बच्चे को पढ़ने लिखने बोलने सुनने सवालों को बनाने सूत्रों को समझने अवधारणाओं को समझने में कठिनाई होती है इस प्रकार के बच्चों को पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता है साथ ही किसी भी गतिविधि में निपुणता नहीं होती है। ऐसे बच्चों के ऊपर एक शिक्षक को अच्छे से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। हालांकि प्रत्येक व्यक्ति में कुछ ना कुछ गुण अवश्य होता है उसे पहचान कर उसे आगे बढ़ाया जा सकता है। इस कार्य में परिवार और शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
Q.4 सीखने के एवम सीखने के लिए आकलन से आप क्या समझते हैं? (सीखने का तथा सीखने के लिए आकलन में क्या अंतर है?)
उत्तर:- सीखने का आकलन:- सीखने का आकलन संपूर्ण अधिगम की प्रक्रिया के पश्चात पूर्व निर्धारित अधिगम उद्देश्य और अपेक्षित अधिगम के परिणामों को ध्यान में रखकर विद्यार्थी के सीखने की निष्पत्ति का परीक्षण करती है। आकलन लिखित व मौखिक परीक्षा द्वारा संचालित किया जाता है। परीक्षा में प्राप्त मात्रा ग्रेड या अंक एक विद्यार्थी के सीखने का घोतक होती है। परीक्षा में प्रश्नों के निश्चित उत्तर होते है जो शिक्षकों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। यदि इन प्रश्नों का सही उत्तर देता है या शिक्षकों के व्याख्यान या अनुदेशन के अनुरूप उत्तर देता है तो यह माना जाता है कि विद्यार्थी ने विषय वस्तु या पाठ संपूर्ण रूप से अर्जित किया है। सीखने के आकलन इसी पाठ के समाप्त हो जाने पर त्रैमासिक और वार्षिक रूप से किया जाता है
सीखने के लिए आकलन:- सीखने के लिए आकलन आकलन एवं मूल्यांकन के निर्माण वादी रचनात्मक एवं विकासात्मक प्रकृति की ओर संकेत करता है। इसके अंतर्गत विद्यार्थी के अधिगम उपलब्धि के साथ उसके सीखने की प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यह बताता है कि विद्यार्थी क्या सीखता है? कितना सीखता है? तथा कैसे सीखता है? उसके सिखाने का तरीका क्या है? सिखाने सीखने की प्रक्रिया में हुआ की विशेषताओं ज्ञान के स्रोतों को उपयोग में ले आता है। उसके विचार तथा स्पष्टीकरण में कितने नवीनता और मौलिकता है? अर्थात सीखने के लिए आकलन में विद्यार्थियों को अपनी योग्यताओं को निखारने का पूरा अवसर दिया जाता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि सीखना का आकलन तथा सीखने के लिए आकलन में खास अंतर है सीखने का आकलन में शिक्षक की भागीदारी होती है छात्रों को स्वयं से सीखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिलता है जबकि सीखने के लिए आकलन में छात्रों को सीखने और स्वयं करने का पर्याप्त अवसर दिया जाता है
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S-2, Unit-1
DElEd second year assignment of cognition learning and child development
Thanks a lot
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