S2,Unit-4,बच्चों के विकास एवं सीखने में समाज की भूमिका, Assignment questions
संज्ञान, सीखना और बाल विकास, Cognition,Learning and Child development, D.El.Ed. , B.Ed. ,CTET, STET, REET
Q.1 सीखने और समाज में अंतर्संबंध की व्याख्या करें।
अथवाबच्चे समाज में रहकर किस प्रकार सीखते हैं? वर्णन करें।
अथवा
समाज किस प्रकार बच्चों की सीखने में भूमिका निभाता है? स्पष्ट करें।
उत्तर:- अरस्तु के अनुसार मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर सीखने से बच्चों का समाजीकरण होता है। जिसके माध्यम से मनुष्य समाज के विभिन्न प्रकार के व्यवहार रीति रिवाज गतिविधियां चाल चलन तौर-तरीके इत्यादि सीखता है। समाजीकरण के माध्यम से ही वह सभ्यता और संस्कृति को सीखते हैं और आत्मसात कर लेते हैं। सीखने की यह प्रक्रिया समाज के नियमों के अनुसार ही चलती है। सीखने की प्रक्रिया में सामाजिक मानदंडों व संस्कृति की सबसे ज्यादा भूमिका होती है। समाज में व्यक्ति की परिस्थिति और सामाजिक भूमिका है बदलती रहती है और उसके अनुरूप व्यवहार के लिए उसे आचरण तथा व्यवहार के नए प्रतिमान सीखने पड़ते हैं।
समाज में रहकर बच्चों को उसके माता-पिता संबंधी बुजुर्ग और समाज के अन्य व्यक्तियों की तरह व्यवहार को सीखना पड़ता है। बचपन में अपने सहपाठियों के साथ पढ़ने के तौर तरीके खेलने के तौर तरीके विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप इत्यादि सीखते हैं । फिर जब वह किसी कार्य स्थल पर जाता है तो अपने सहयोगीयों वरिष्ठ पदाधिकारियों पड़ोसियों आदि से व्यवहार के तौर-तरीकों को सीखना पड़ता है। जगह और कार्यस्थल के अनुसार सीखने की प्रक्रिया में बदलाव होते रहता है। इस प्रकार समाज में समाज के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत तक चलती रहती है
समाज में रहकर समाज के व्यक्तियों से अंतर्संबंध स्थापित कर विभिन्न प्रकार की भागीदारी निभाने होती है। समाज में रहकर समाज द्वारा सीखने का उद्देश्य ही सामाजिक प्रक्रिया में भाग लेना एवं सामाजिक नियमों तथा मूल्यों के अनुरूप अनुसरण करना होता है। समाज के विभिन्न अभिकरण जैसे परिवार आस-पड़ोस मित्र मंडली विद्यालय सहपाठी इत्यादि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Q.2 सामाजिक अधिगम क्या है? बंडूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धांत की व्याख्या करें।
उत्तर:- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह समाज से कुछ न कुछ सीखते रहता है। इस वातावरण में विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप और बदलाव होते हैं जिसमें मनुष्य की भागीदारी सुनिश्चित होती है। वह समाज के अंदर रहता है समाज से सीखता है समाज को सिखाता है। समाज द्वारा निर्देशित सिखाने को बंडूरा ने सामाजिक अधिगम कहा है। उसके अनुसार सामाजिक अधिगम के अंतर्गत समाजिकता का अधिगम किया जाता है।
प्रेक्षण और समाजीकरण द्वारा बंडूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धांत:-
बंडूरा के अनुसार मनुष्य समाज में रहकर अनुकरण द्वारा ज्यादा सीखते हैं। किसी प्रतिमान के व्यवहार को देखकर बालक उसका अनुसरण करके उसके साथ संबंध स्थापित करने का प्रयास करता है। अर्थात किसी प्रतिमान द्वारा किए गए विशिष्ट व्यवहार के अवलोकन से अर्जित नवीन प्रक्रियाओं को ग्रहण करना ही अनुकरण द्वारा सीखना कहलाता है। सीखने अर्थात अधिगम में अधिगमकर्ता जैसे कोई बालक किसी प्रतिमान को देखता और समझता है उसके बाद किए गए व्यवहार को ज्ञानात्मक प्रक्रियाओं द्वारा मस्तिष्क में संग्रहित करता है। बालक प्रतिमान द्वारा किए गए व्यवहार के परिणामों का निरीक्षण करता है। इसके बाद अधिगमकर्ता स्वयं प्रतिमान के व्यवहार का अनुकरण करके उस कार्य को दोहराता है। लोगों में धनात्मक पुष्टिकरण मिलने पर वह उस व्यवहार को सीख लेता है और अपना लेता है। लेकिन यदि किसी व्यवहार के प्रति लोगों का नकारात्मक पुष्टिकरण हो तो वह उस व्यवहार को त्याग देता है।
हम लोगों के जीवन में प्रत्येक दिन अनेक प्रतिमान आते हैं और हम उनके व्यवहारों का अनुकरण करते हैं। यही स्थिति बालक के सामने होती है। एक छोटा बालक किसी दूसरे बालक के किए गए क्रियाकलापों को देखता है और उसका अनुकरण करके उसी के अनुसार उनके क्रियाकलापों को दोहराता है। मेरे घर में एक भतीजा 5 साल का जो भी क्रियाकलाप करता है। छोटा भतीजा 2 साल का उसका अनुकरण करता है फिर उसी क्रियाकलाप को दोहराने का प्रयास करता है। इसके अलावा इसका सामान्य सा उदाहरण यह भी है। कई लड़के जब किसी टीवी पर किसी फिल्म में हीरो के क्रियाकलापों को देखता और सुनता है तो उसके क्रियाकलापों को अपने मस्तिष्क में संग्रहित कर लेता है और फिर उसी जैसा व्यवहार वह अपने वास्तविक जिंदगी में करने लगता है।
साधारण शब्दों में बंडूरा के मॉडल की विशेषताओं को इस प्रकार कह सकते हैं कि वह व्यवहार जो पुरस्कृत कर सकते हैं योग्य होते हैं और जिस का स्तर ऊंचा होता है को शीघ्रता से अनुकरण किया जा सकता है।
Q.3 बच्चों के परीक्षण व सामाजिकरण द्वारा सीखने के बंडूरा के "बॉबो डॉल" प्रयोग का वर्णन करें।
अथवा
बच्चों के समाजीकरण के बंडूरा के बॉबो डॉल प्रयोग का वर्णन करें।
उत्तर:- बंडूरा के बॉबो डॉल प्रयोग द्वारा बच्चों में व्यवहार परिवर्तन को समाजीकरण के माध्यम से देखा जा सकता है। साथ ही उसे मिलने वाले पुरस्कार या दंड से भी समाजीकरण में बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।
बोबो डॉल प्रयोग:- इस प्रसिद्ध प्रयोग में (बॉबो डॉल प्रयोग में) एक समूह के कुछ बच्चों को 5 मिनट के लिए एक फिल्म दिखाया गया। फिल्म में एक बड़े कमरे में बहुत से खिलौने रखे थे और उनमें एक खिलौना एक बड़ा सा गुड्डा( बॉबो डॉल) था। अब कमरे में एक लड़का प्रवेश करता है और चारों ओर देखता है। लड़का सभी खिलौने के प्रति विरोध प्रदर्शित करता है और इधर-उधर फेंक देता है और बॉबो डॉल के ऊपर और अधिक क्रोध प्रदर्शित करता है। उसे फर्श पर फेंक देता है उसे ठोकर मारता है और फिर उसी पर बैठ जाता है। इसके आगे की घटना को तीन अलग-अलग फिल्मों में तैयार किया जाता है और उन लड़कों को तीन अलग-अलग ग्रुप में बांट दिया जाता है। एक समूह को फिल्म के माध्यम से यह दिखाया जाता है कि इस आक्रामक व्यवहार करने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है और कुछ व्यक्ति उसके इस आक्रामक व्यवहार की प्रशंसा भी करते हैं। दूसरे ग्रुप के बच्चों ने यह देखा कि लड़कों के इस आक्रामक व्यवहार के लिए उसे दंडित किया गया। तीसरी फिल्म में बच्चों के समूह ने यह देखा कि लड़कों को ना तो पुरस्कृत किया गया और ना ही दंडित किया गया।
अब सभी लड़कों को एक खिलौने वाले रूम में खेलने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है और प्रेक्षक (बंडूरा और उनके सहयोगी) छिपकर उनके व्यवहारों को देखते हैं। उन लोगों ने यह पाया कि जिन बच्चों ने फिल्म में खिलौनों के प्रति किए जाने वाले आक्रामक व्यवहार को पुरस्कृत हुए देखा वे खिलौने के प्रति अधिक आक्रामक थे। सबसे कम आक्रामक उन बच्चों ने दिखाई जिन्होंने फिल्म में आक्रामक व्यवहार करने वाले बच्चों को दंडित होते हुए देखा था।
इस प्रयोग से यह स्पष्ट होता है कि सभी बच्चों ने फिल्म में दिखाए गए घटनाक्रम से आक्रामकता सीखा और इस मॉडल का अनुकरण भी किया। परीक्षण द्वारा अधिगम की प्रक्रिया में प्रेक्षक मॉडल के व्यवहार का परीक्षण करके ज्ञान प्राप्त करता है। परंतु वह किस प्रकार से आचरण करेगा यह इस पर निर्भर करता है कि मॉडल को पुरस्कृत किया गया या दंडित किया गया।
Q.4 बायोगोत्सकी के सामाजिक संस्कृतिक सिद्धांत के प्रमुख मान्यताओं का उल्लेख करें ।
उत्तर:- बायोगोत्सकी के सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत के प्रमुख मान्यताएं इस प्रकार है:-
(क) भाषा तथा विचार ( Language and thoughts):- बायोगोत्सकी ने संज्ञानात्मक विकास में बच्चों की भाषा एवं विचार को महत्वपूर्ण साधन बताया है। बच्चे भाषा का प्रयोग ना केवल समाज के साथ विचारों के आदान-प्रदान में करता है बल्कि अपनी योजना बनाता है अपने व्यवहार में उसका प्रयोग करता है। भाषा और विचार शुरू में एक दूसरे से स्वतंत्र होते हैं फिर दोनों मिल जाते हैं। बच्चे समाज में रहकर ही अपने विचारों को शब्द दे पाते हैं और इस प्रकार भाषा का विकास होता है।
(ख) वास्तविक विकास का स्तर ( Level of actual development):- संज्ञानात्मक विकास को अंतरव्यक्तिक सामाजिक परिस्थितियां भी प्रभावित करती है। जिसमें बालक स्वयं बिना किसी मदद के अपने स्तर पर सीखते हैं। जैसे कि चूसना खेलना बोलना दौड़ना इत्यादि। इसे बायोगोस्की ने वास्तविक विकास के स्तर का नाम दिया है। जिसमें बच्चे बिना किसी मदद के अपने आप सीख जाते हैं। इसके अलावा घुटनों के बल चलना झुककर वस्तु उठाना वस्तु को उठा कर रखना फेंकना खेलना पलंग से नीचे उतरना इत्यादि।
(घ) सहारा लेना(Scaffoloding):- कुछ नया सीखते समय किसी दूसरे व्यक्ति की सहारा लेते हैं। वास्तव में अगर हमें कुछ ज्यादा सीखना है तो हमसे ज्यादा हुनरमंद व्यक्तियों का सहारा लेना होगा।