अतीत से वर्तमान | कक्षा-8, अध्याय 11| कला क्षेत्र में परिवर्तन| प्रश्न उत्तर|Kala Kshetra mein Parivartan
Kala Kshetra mein Parivartan:-इस पोस्ट में कक्षा - आठ के इतिहास, अतीत से वर्तमान के पाठ - 11, कला क्षेत्र में परिवर्तन के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं।
BSEB Class 8th Social Science History Chapter 11, कला क्षेत्र में परिवर्तन Textbook questions and answers Bihar Board Class 8th Social Science History Chapter 11 कला क्षेत्र में परिवर्तन Book answers and solutions are one of the most important study materials for the students.
atit se vartman, class-8 notes in Hindi { Kala Kshetra mein Parivartan}
प्रश्न 1. मधुबनी पेंटिंग किस प्रकार की कला शैली थी? इसके अंतर्गत किन विषयों को ध्यान में रखकर चित्र बनाए जाते थे?
उत्तर- मधुबनी चित्रकला पूर्ण रूप से महिला द्वारा चित्रकला शैली है। सर्वप्रथम मधुबनी को दीवारों में बनाया जाता था फिर धीरे-धीरे आंगन के फर्श से कपड़े और कागज पर बनाए जाने लगा। यह चित्र कला पर्व, त्योहार, विवाह, उत्सव, अन्य समारोह के शुभ अवसर पर बनाई जाती है।
मधुबनी पेंटिंग के अंतर्गत विभिन्न विषय
मधुबनी चित्रकला के विभिन्न रूप इस प्रकार है:-
(1)भित्ति चित्र- इस प्रकार के चित्रकला में देवी-देवताओं, जय श्री राधा कृष्ण लीला, राम सीता की कथा, इत्यादि के चित्र विवाह के अवसर पर घर के बाहर और अंदर बनाए जाते हैं
(2)अरिपन चित्र/ भूमि चित्रण- इस प्रकार के चित्रकला में आंगन या चौखट के सामने जमीन पर चित्र बनाया जाता है। इस चित्रकला में पशु, पक्षी, फूल, मनुष्य इत्यादि का चित्र बनाया जाता है।।
प्रश्न 2. ब्रिटिश चित्रकारों ने अंग्रेजों की श्रेष्ठता एवं भारतीयों की कमतर हैसियत को दिखाने के लिए किस तरह के चित्रों को दर्शाया है?
उत्तर - इतिहास में कई प्रकार की चित्रकला शैली का विकास हुआ। इनमें से औपनिवेशिक चित्रकला शैली इतिहास की ऐसी चित्रकारी थी जिसमें ब्रिटिश चित्रकारों ने अंग्रेजों की श्रेष्ठता और भारतीय चित्रकारों की कमी को दिखाया है।
उदाहरण के लिए प्लासी के युद्ध के बाद फ्रांसिस हेमन द्वारा एक तैल चित्र बनाया गया जिसमें मीर जाफर और उसके सैनिकों द्वारा प्लासी युद्ध के बाद लॉर्ड क्लाइव की अगवानी करते हुए दिखाया गया है। इस चित्र में दिखाया गया है किस प्रकार क्लाइव ने सिराजुद्दोला को प्लासी की लड़ाई में पराजित कर दिया। इस चित्र के माध्यम से अंग्रेजों की श्रेष्ठता और भारतीयों को कमतर दिखाया गया है।
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प्रश्न 3. 19 वी सदी की इमारतें अंग्रेजों की श्रेष्ठता, अधिकार सत्ता की प्रतीक एवं उसकी राष्ट्रवादी विचारों का प्रतिनिधित्व करती है इस कथन के आधार पर स्थापत्य कला शैली की विशेषताओं का वर्णन करें।
19वीं सदी में अंग्रेजो के द्वारा विभिन्न प्रकार के चित्र कला और स्थापत्य शैली का विकास किया गया। उन्होंने यहां पर विभिन्न प्रकार के भवन का निर्माण किया। भारत में ब्रिटिश शासन की स्थिरता के बाद किले, सरकारी दफ्तर, शैक्षणिक स्थान, धार्मिक इमारतें, व्यवसाई भवन इत्यादि की आवश्यकता हुई। ब्रिटिश ने भारत में तीन प्रकार की स्थापत्य शैली का प्रयोग किया। स्थापत्य कला के विकास के क्रम में अंग्रेजों ने विभिन्न प्रकार की तकनीकों का इस्तेमाल करके सैकड़ों भवन का निर्माण करवाया। आज भारत के कई शहरों में हमें विभिन्न प्रकार की इमारतें देखने को मिलती है।
प्रथम ग्रीक रोमन स्थापत्य शैली इसमें रेखा गणितीय संरचना एवं गुंबद का प्रयोग करके शाही भवन का निर्माण किया।
दूसरा गोथिक शैली- ऊंची उठी हुई छतें, नोंकदार मेहराबें, बारिक साज-सज्जा इस शैली की विशेषता थी।
तीसरी शैली नई मिश्रित शैली थी जिसमें भारतीय और यूरोपीय शैली को शामिल किया गया था।
प्रश्न 4. साहित्यिक देशभक्ति से आप क्या समझते हैं? विचार करें।
उत्तर - देशभक्ति को दिखाने के लिए कई साधन है। इसमें से एक साहित्यिक देशभक्ति है। इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभिन्न भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों ने साहित्य को राष्ट्रवादी रूप दिया। उन लोगों ने साहित्य के माध्यम से स्वतंत्रता की जरूरत को समझाया। साहित्य ने देश की आजादी के लिए जनसाधारण को हर प्रकार से बलिदान करने के लिए प्रेरित किया। साहित्यकारों ने देश के विभिन्न भागों में हो रहे क्रांति की जानकारी अपने साहित्य के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाया जिनके कारण उनमें राष्ट्रवादी भावना का विचार उत्पन्न हुआ।
प्रश्न 5. मॉडर्न स्कूल ऑफ आर्टिस्ट्स से जुड़े भारतीय कलाकारों ने राष्ट्रीय कला को प्रोत्साहित करने के लिए किन विषयों का चयन किया? चित्र 12 13 14 के आधार पर वर्णन करें।
उत्तर -मॉडर्न स्कूल ऑफ आर्टिस्ट्स से जुड़े भारतीय कलाकारों ने राष्ट्रीय कला को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न विषयों का चयन किया। अवनींद्र नाथ टैगोर ने राजपूत लघु चित्र शैली का प्रयोग करके अपनी मां का चित्र बनाया। अवनींद्र नाथ ने जापानी जल रंग की तस्वीर की तरह कालिदास की कविता को निर्वासित यक्ष का चित्र बनाया। नंदलाल बोस ने अजंता के चित्र शैली से प्रभावित होकर पांडवों को वनवास के दौरान लक्षागृहा के जलने का चित्र बनाया।