अतीत से वर्तमान || क्लास 8 chapter -4 || upniveshvad aur janjatiy Samaj question and answer in Hind
उपनिवेशवाद और जनजातीय समाज: इस पोस्ट में हम आपको कक्षा 8 के विषय अतीत से वर्तमान के अध्याय 4 उपनिवेशवाद और जनजातीय समाज, chapter -4 upniveshvad aur janjatiy Samaj question and answer in Hindi के सभी प्रश्न और उसके उत्तर बताए हुए हैं। हम आपको अपने वेबसाइट के माध्यम से शिक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण नोट्स उपलब्ध कराते हैं। यहां पर कक्षा 8 के अतीत से वर्तमान अध्याय 4 उपनिवेशवाद और जनजातीय समाज के बारे में बताए हुए हैं।
{chapter-4 उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज || upniveshvad aur janjatiy Samaj}
पाठयगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.जनजातीय समाज के लोग जंगल का उपयोग किन-किन चीजों के लिए करते थे ? क्या उनके उद्योग को विकसित करने में भी जंगल की भूमिका थी?
उत्तर- जनजातीय समाज के लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति जंगलों से हो जाती थी। जैसे जलावन के लिए लकड़ियाँ, भोजन के लिए कंद-मूल, फल, शहद आदि या फिर जड़ीबूटियां उन्हें आसानी से जंगल से मिल जाती थीं। वे पशुपालन भी करते थे। जिनका चारा भी उन्हें जंगलों से मिल जाता था। घर बनाने के लिए लकड़ियां भी जंगल से मिल जाती थी। शहद, जडी-बूटियां, फल भी उन्हें जंगल से मिल जाते थे। हिरण. तीतर तथा अन्य पक्षियों का शिकार भोजन के लिए करते थे जो उन्हें जंगल से ही मिल जाते थे।
उनके उद्योग धंधे भी जंगलों पर ही आधारित थे। हाथी दांत, बांस तथा कुछ धातुओं पर की गई उनकी कलाकारी दूसरे समाजों में काफी पसंद की – जाती थी। वे रबर, गोंद आदि का भी व्यापार करते थे। बाद में उन्होंने लाख और रेशम उद्योगों को भी अपनाया। ये सार चीजें उन्हें जंगल से मिल जाती थीं । अतः जनजातीय समाज के उद्योग को विकसित करने में भी जंगल की उनके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
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प्रश्न 2.स्लीपर किसे कहते हैं ?
उत्तर- लकड़ी का तख्ता जिसके ऊपर रेल की पटरियां बिछाई जाती हैं, उन्हें स्लीपर कहते हैं।
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प्रश्न 3.बेगारी किसे कहते हैं ?
उत्तर- बिना वेतन या मजदूरी के काम करने को बेगारी कहते हैं।
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प्रश्न 4.बंधुआ मजदूर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- कर्ज चुकाने के लिए बिना वेतन के मालिक के जमीन पर तब तक काम करते रहना जब तक कि कर्ज की रकद सूद समेत न चुक जाए, बंधुआ मजदूरी कहलाती है। वैसे मजदूरों को बंधुआ मजदूर कहते हैं।
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प्रश्न 5.दिकू किसे कहते हैं ?
उत्तर- गैर आदिवासी सेठ एवं महाजन, जो अधिक ब्याज पर ऋण देते थे और उनका शोषण करते थे। ये व्यापारी एवं बिचौलिए का काम करते थे। इन्हें दिकू कहा जाता था।
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प्रश्न 6.क्या जनजातीय विद्रोह सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह था? इन विद्रोहों के लिए सेठ, साहुकार एवं महाजन कहाँ तक जिम्मेवार थे?
उत्तर- नहीं, जनजातीय विद्रोह सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह नहीं था। जनजातीय विद्रोह सेठ, साहूकार एवं अंग्रेजों के अन्य बिचौलियों के भी खिलाफ था जो उनका आर्थिक एवं शारीरिक शोषण करते थे। सेठ, साहुकार एवं महाजन के इन भोले-भाले आदिवासियों का इतना भीषण आर्थिक, ‘शारीरिक शोषण करते थे कि जनजाति समाज इनके खिलाफ और इनके सरपरस्त अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह खड़ा कर दिये।
अतीत से वर्तमान कक्षा 8 Bihar Board प्रश्नोत्तर
प्रश्न 7.बिरसा मुंडा ने स्वयं को भगवान का अवतार क्यों घोषित किया?
उत्तर- सन् 1895 ई. में बिरसा को उसके कुलदेवता ‘सिंगबोगा’ से एक नये धर्म के प्रतिपादन की प्रेरणा मिली थी। उसी प्रेरणा के अनुसार बिरसा मुंडा ने स्वयं को भगवान का अवतार घोषित किया था।
अभ्यास-प्रश्न
अतीत से वर्तमान क्लास 8 Bihar Board
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प्रश्न (i) जनजातीय समाज के लोग आम भाषा में क्या कहलाते थे?
(क) हरिजन
(ख) आदिवासी
(ग) सिक्ख
(घ) हिन्दू
उत्तर- (ख) आदिवासी
Bihar Board 8th Class Social Science
प्रश्न (ii) दिकू किसे कहा जाता था?
(क) अंग्रेज
(ख) महाजन
(ग) गैर आदिवासी
(घ) आदिवासी
उत्तर- (ग) गैर आदिवासी
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प्रश्न (iii) बिरसा मुंडा किस क्षेत्र के निवासी थे?
(क) छोटानागपुर
(ख) संथाल परगना
(ग) मणिपुर ।
(घ) नागालैंड
उत्तर- (क) छोटानागपुर
Class 8 Social Science Bihar Board
प्रश्न (iv) गिंडाल्यू ने अंग्रेज सरकार की दमनकारी कानूनों को नहीं मानने का भाव जनजातियों में जगाकर गांधीजी के किस आंदोलन से जनजातीय आंदोलन को. जोड़ने का सफल प्रयास किया?
(क) असहयोग आंदोलन
(ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(ग) भारत छोड़ो आंदोलन..
(घ) खेड़ा आंदोलन
उत्तर- (ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन
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प्रश्न (v) झारखंड राज्य किस राज्य के विभाजन के परिणामस्वरूप बना था?
(क) बिहार
(ख) बंगाल
(ग) उड़ीसा
(घ) मध्य प्रदेश
उत्तर- (क) बिहार
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निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ :
जादोनांग – (क) मणिपुर
बिरसा मुंडा – (ख) उड़ीसा
कंध जाति – (ग) जेलियांगरांग आंदोलन
टिकेन्द्र जीत सिंह – (घ) ताना भगत आंदोलन
जतरा भगत – (ङ) सिंगबोगा
उत्तर:-
जादोनांग – (ग) जेलियांग रांग आंदोलन
बिरसा मुंडा – (ङ) सिंगबोगा
कंध जाति – (ख) उड़ीसा
टिकेन्द्रजीत सिंह – (क) मणिपुर
जतरा भगत – (घ) ताना भगत आंदोलन
यह भी पढ़ें>>अध्याय 2 भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना । अतीत से वर्तमान कक्षा 8 । प्रश्नोत्तर
आइए विचार करें-
Class 8 History Bihar Board अतीत से वर्तमान उपनिवेशवाद और जनजातीय समाज प्रश्न उत्तर
प्रश्न (i) अठारहवीं शताब्दी में जनजातीय समाज के लिए जंगल की क्या उपयोगिता थी?
उत्तर- जंगल हमेशा से मानव जाति के लिए उपयोगी रहा है।अठारहवीं शताब्दी में जनजातीय समाज पूर्णत: जंगल पर निर्भर था। वे जंगलों में व उसके आस-पास रहते थे। उनके दैनिक उपयोग की अधिकांश जरूरतों की पूर्ति जंगलों से ही होती थी। वे जंगलों को साफ कर खेती योग्य जमीन तैयार करते थे ।वे पशुपालन भी करते थे जिनका चारा उन्हें जंगलों से मिलता था। उनके घर भी जंगल की लकड़ियों के ही बने होते थे। उस समय जनजातीय समाज अपनी आजीविका व अस्तित्व के लिए पूर्णत: जंगलों पर निर्भर थे। जंगल की उपयोगिता उनके सारे कामों के लिए थी।वे जंगलों पर पूर्णतः निर्भर थे। वर्तमान समय में भी कई जनजातियां जंगलों पर निर्भर है।
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प्रश्न (ii) आदिवासी खेती के लिए किन तरीकों को अपनाते थे?
उत्तर- आदिवासियों की खेती का तरीका बिल्कुल अलग था। हो गई खेती की ऐसी तरीके को अपनाते थे जिससे कि पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचता था। क्योंकि उस समय उनके पास कोई तकनीक उर्वरक नहीं थे तो वह झूमिंग कृषि को अपनाया करते थे। इसके ‘ अन्तर्गत वे जंगल के किसी भाग को काट-छांट कर साफ करते थे । दो-तीन वर्षों तक उस जगह पर खेती करने के बाद जब उस जगह की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती थी तब वे किसी और स्थान पर यही प्रक्रिया दोहराते थी। कुछ वर्षों तक परती छोड़ देने के बाद पहले की जगह पर वापस जंगल उग जाता था। – इससे उनकी खेती का काम भी हो जाता था और जंगल को भी कोई नुकसान नहीं होता था। इस विधि को ‘घुमंतु कृषि विधि’ के नाम से भी जाना जाता है। पहाड़ी किनारे पर पर सीढ़ी नुमा खेत बनाकर खेती किया करते थे। इस कारण मृदा अपरदन को रोका जा सकता था।
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प्रश्न (iii) गैर आदिवासियों एवं अंग्रेजों के प्रति आदिवासियों का विरोध क्यों हुआ?
उत्तर- अंग्रेज ज्यादा से ज्यादा लगान प्राप्त करने के फेर में जंगलों तक भी पहुँच गये । उन्होंने आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया। आदिवासी मानते थे कि उनके पूर्वजों ने जंगलों को साफ कर उसे खेती के लायक बनाया है, इसलिए जमीन के मालिक वे स्वयं हैं। इसके लिए उन्हें किसी को किसी तरह का लगान या कर देने की आवश्यकता नहीं है। जबकि अंग्रेजों ने नई लगान व्यवस्थाओं के तहत उनके द्वारा जोती जाने वाली जमीनों को भी सरकार दस्तावेजों में दर्ज कर लिया और उनके ऊपर भी अन्य किसानों की तरह सलाना लगान की राशि तय कर दी।
लगान की राशि चुकाने के लिए उनकी जमीनें नीलाम होने लगी या फिर महाजनों के कब्जे में जाने लगी। पहले झूमिंग कृषि के तौर पर अलग-अलग जगह पर जाकर खेती कर लिया करते थे लेकिन सरकार ने इस पर रोक लगा दी। सरकारी कर्मचारियों के उन तक पहुंचने का भी उन पर बुरा असर हुआ । कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ने से अब उनके क्षेत्रों में गैर आदिवासी सेठ, महाजन एवं सूदखोरों का भी प्रवेश हुआ। ये महाजन व साहुकार हमेशा इस प्रयास में रहते थे। कि किस तरह इनके जमीनों को हथियाया जाए और इन्हें बंधुआ मजदूर बनाया जाए।
अत: गैर आदिवासियों एवं अंग्रेजों द्वारा अपनायी गयी शोषण व जुल्म की नीतियों के फलस्वरूप आदिवासियों का उनके प्रतिरोध हुआ और वे शस्त्र उठाने को विवश हो गये। और हमारे इतिहास में अंग्रेज के खिलाफ कई विद्रोह देखने को मिलते हैं।
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Bihar Board Class 8 Civics Solution
प्रश्न (iv) वन अधिनियम’ ने आदिवासियों के किन अधिकारों को छीन लिया ?
उत्तर- झूमिंग कृषि के कारण तेजी से खत्म होते जंगल की समस्या को हल करने के लिए अंग्रेज सरकार ने सन 1864 में ‘वन विभाग’ की स्थापना की और सन् 1865 में ‘वन अधिनियम’ बनाया। वन अधिनियम के तहत वृक्षारोपण की सुरक्षा के लिए तथा पुराने जंगलों को बचाने के लिए ढेरों नियम बनाए गए । इन सबका असर यह हुआ कि आम लोगों और आदिवासियों का जंगलों पर जो परंपरागत अधिकार था वो छिनने लगा। वे अब अपनी मर्जी से लकड़ी काटने, जानवर चराने, फल-फूल इकट्ठा करने या शिकार करने के लिए जंगलों में नहीं जा सकते थे। यहां तक कि जंगलों में उनके प्रवेश को भी वर्जित कर दिया गया था। अभी तक अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आदिवासी काफी कुछ जंगलों पर निर्भर थे लेकिन अब उस पर अंग्रेजी सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। एक प्रकार से उनके जीवन की व्यवस्था बिगड़ गई।
अतीत से वर्तमान कक्षा 8 अध्याय 4 उपनिवेशवाद और जनजाति समाज Bihar Board प्रश्नोत्तर
प्रश्न (v) ईसाई मिशनरियों ने आदिवासी समाज में असंतोष पैदा कर दिया, कैसे?
उत्तर- आदिवासियों को शिक्षा देने के उद्देश्य से ईसाई मिशनरियों का भी उनके इलाके में आगमन हुआ । ईसाई मिशनरियों का वास्तविक उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों पर अपना वर्चस्व स्थापित करना तथा उनका धर्म परिवर्तन करना था। उन्होंने आदिवासी के धर्म एवं उनकी संस्कृति की आलोचना कर उसे कमतर आंकना करना शुरू कर दिया और बहुत से आदिवासियों का धर्म परिवर्तन भी करा डाला। ईसाई मिशनरियों ने उन्हें यह प्रलोभन दिया कि वह सेठ, साहुकारों एवं महाजनों से उनकी रक्षा करेगा। परन्तु वास्तविकता कुछ और ही थी। ये मिशनरियां सेठ, साहुकार, जमींदार एवं बिचौलिए के साथ मिलकर आदिवासियों का खूब आर्थिक एवं शारीरिक शोषण करती थी । इन्हीं कारणों से आदिवासी समाज में ईसाई मिशनरियों के प्रति असंतोष पैदा हुआ। आखिरकार अंग्रेजों एवं गैर आदिवासियों के खिलाफ आदिवासियों ने जगह-जगह पर अस्त्र-शस्त्र उठा लिये।
प्रश्न (vi) बिरसा मुंडा कौन थे ? उन्होंने जनजातीय समाज के लिए क्या किया ?
उत्तर- बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर सन् 1874 ई. को छोटानागपुर प्रमंडल के तमाड़ थानान्तर्गत उलिहातु गाँव के निकट एक छोटे से क्षेत्र ‘चलकद’ में हुआ था। उसके पिता का नाम सुगना मुंडा एवं माता का नाम कदमी था । बिरसा की शिक्षा दीक्षा चाईबासा के एक जर्मन मिशन स्कूल में हुई थी। शुरू में कुछ मुंडाओं के साथ मिलकर उसने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया, पर बाद में ईसाई धर्म से असंतुष्ट होकर फिर मुंडा बन गया। उसके मन में अंग्रेजों एवं जमींदारों के प्रति आक्रोश की भावना ने ही मुंडा विद्रोह को जन्म दिया।
सन् 1895 में बिरसा को उसके कुलदेवता "सिंगबोगा" से एक नये धर्म के प्रतिपादन की प्रेरणा मिली, जिसके अनुसार उसने अपने आपको भगवान का अवतार घोषित किया और अंग्रेजी शासन का अंत करने का बीड़ा उठा लिया । उसने अपने कई अनुयायियों के साथ अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और रांची के एक जेल में 2 जून, 1900 को हैजा की बीमारी से उसकी मृत्यु हो गयी । पर उसके द्वारा शुरू किया गया मुंडा विद्रोह जारी रहा। परिणामस्वरूप अंत में मुंडा आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को झुका दिया और उन्होंने जनजातीय समाज को संरक्षण दिया और विशेष सुविधाएँ भी दी।
प्रश्न (vii) अंग्रेज संथालों का शोषण किस तरह किया करते थे?
उत्तर- अंग्रेज संथालों का कई प्रकार से शोषण किया करते थे। उन्होंने सबसे पहले तो नई लगान व्यवस्थाओं के तहत उन्हें उनकी जमीन से बेदखल कर दिया। फिर उन्होंने लगान की भारी राशि चुकाने के लिए उनको असमर्थ बनाकर उनकी जमीन को नीलाम कर दिया। आदिवासियों को उन्होंने ‘वन अधिनियम’ बनाकर जंगलों का उपयोग करने से वंचित कर दिया । कभी जो स्वतंत्र और अपनी जमीन के मालिक थे, अंग्रेजों ने उन्हें बंधुआ मजदूर बना दिया और उन्हें उनकी जमीन से और जंगलों से बेदखल कर दिया । अंग्रेजों ने संथालों का आर्थिक, शारीरिक, मानसिक हर प्रकार से शोषण किया था। मालिकाना हक से उसे बंधुआ मजदूर बना दिया।
प्रश्न (viii) जादोनांग कौन था? उसकी उपलब्धियों के विषय में बताइए।
उत्तर- उत्तर पूर्व भारत में, मणिपुर में जेमेई, लियांगमेई एवं रांगमेई नामक नागा जनजाति की बहुलता थी। जादोनांग रांगमेई जनजाति का नेता था। उसके नेतृत्व में 1920 में जनजातीय लोगों ने विद्रोह का झंडा खड़ा किया। उपरोक्त तीन जनजातियों के नाम पर इस आन्दोलन को ‘जेलियारांग आंदोलन’ का नाम दिया गया था । जादोनांग ने सर्वप्रथम इन तीन जनजातियों में एकता स्थापित कर अंग्रेजों एवं गैर आदिवासियों को बाहर खदेड़ने का एक राजनैतिक कार्यक्रम बनाया। खास बात यह थी कि इनका आन्दोलन आगे चलकर गाँधीजी द्वारा चलाए गए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के साथ जुड़ गया। यही कारण है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
प्रश्न (ix) जनजातीय विद्रोह में महिलाओं की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर- भारत में शुरुआत से ही महिलाएं हर क्षेत्रों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती रही है। जादोनांग की तेरह वर्षीय चचेरी बहन गिंडाल्यू ने अपने भाई की भूमिगत योजना के तहत नागा राज्य की स्थापना के प्रयास में उसका सक्रिय साथ दिया । एक हत्या के मामले में जब जादोनांग को फंसाकर अंग्रेजों ने 29 अगस्त, 1929 को, उसे फांसी पर चढ़ा दिया तो मिंडाल्यू ने इस आंदोलन को जारी रखा। 1932 में इस आंदोलन को दबाकर गिंडाल्यू को आजीवन कारावास की सजा दी गई । सन् 1947 में आजादी मिलने के बाद उसे रिहा कर दिया गिया । उसने अंग्रेजी सरकार के दमनकारी कानूनों के प्रति जनजातियों में अवज्ञा का भाव जगाया और इस प्रकार वह गाँधीजी के सविनय अवज्ञा आन्दोलन की मुख्य धारा से अपने आन्दोलन को जोड़ने में सफल रही। कई अन्य आदिवासी महिलाओं ने भी उपनिवेशवाद के खिलाफ आदिवासियों के विद्रोह में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये महिलाएँ सैनिक कार्रवाई करने से लेकर विद्रोह का नेतत्व करने तक के कार्य में पुरुषों का साथ देती थीं। राधा, हीरा, फूलों, झानो, बिरसा मुंडा के दोस्त गया मुंडा की पत्नी ‘मानी बुई’, बेटी थीगी, नागी और लेम्बू तथा उसकी दो बहुओं ने भी अंग्रेजों के खिलाफ गड़ासा, तलवार, कुल्हाड़ी, लाठी और लोहे की छड़ का प्रयोग किया। ताना भगत आंदोलन में भी जतरा भगत के बाद लीथो उराँव नाम की जनजातीय महिला ने नेतृत्व संभाला। गोंड जनजाति की महिला राजमोहिनी देवी ने 1940 के दशक के उत्तरार्द्ध से 1950 के दशक के आरम्भ तक आंदोलन का नेतृत्व संभाला । आदिवासी महिलाओं ने जनजातीय विद्रोह में जमकर मोर्चा संभाला था। इस प्रकार जनजाति विद्रोह में महिलाओं का काफी योगदान रहा।
प्रश्न (x) जनजातीय समाज की महिलाओं का घरेलू उद्योग क्या था?
उत्तर- जनजातीय समाज की महिलाएं घरों में चटाई बनाने, बुनाई करने एवं वस्त्र बनाने का काम करती थीं । वे रेशम और लाख उद्योगों में भी अपने पुरुषों का पूरा-पूरा साथ देती थीं। महिलाएं घर के छोटे-मोटे काम संभाल कर अपने बाल बच्चे का पालन पोषण करती थी।
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Bihar Board Class 8 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 3 Chapter 4 उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज Text Book Questions and Answers, Notes
Bihar Board Class 8 Social Science उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज, बिहार बोर्ड Text Book Questions and Answers In Hindi , Bihar Board Class 8 Social Science History Solutions Chapter 4 उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
Bihar Board Class 8 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 3 Chapter 4 उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज Text Book Questions and Answers, Notes of class 8 NCERT solutions in Hindi